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दूध कब पिए और कब ना पिए

दूध कब पिए और कब ना पिए

दूध कितना पीया जाए और कब पीया जाए तो लाभ होगा और कब पीएं तो हानि होगी। इन बातों को लेकर संशय हर आम इंसान को होता है। अधिकतर लोग जो रात को दूध का सेवन करते हैं उनके मन में ये संशय होता ह्रै कि रात को दूध पीना फायदेमंद होता है या नुकसानदायक। अगर आपको भी ये संशय है तो हम आपको बताते हैं कि रात को दूध पीना आपको फायदा पहुंचाएगा और कब नुकसान।

कब पीएं दूध

वैसे तो सुबह लाभदायक होता है। इसका पाचन सूर्य की गरमी से होता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार रात को सोने से पहले सोते समय दूध पीने के मामले में जरूरी शर्त यह है कि शाम का भोजन किए तीन घंटे हो चुके हों ताकि अमाशय खाली हो चूका हो। तब ही सोते समय दूध पीने से लाभ होता है क्योंकि इसे पीने के बाद सो जाने से कोई पदार्थ पेट में नहीं जाता इसलिए दूध आसानी से पच जाता है और गुण करता है।

गर्म दूध ना पीएं

अगर पीना जरूरी है, तो सोने से तीन घंटा पहले पियें। दूध अधिक देर तक गरम नहीं करना चाहिये। आधा किलो दूध अपने गुणों के अनुसार, एक पाव मांस व तीन अंडों से अधिक शक्तिवर्धक है। दूध अपने आप में सम्पूर्ण आहार है।बहुत ठंडे या गर्म दूध की बजाय गुनगुना या कमरे के तापमान के बराबर दूध पीना बेहतर है।

अगर रात में दूध पी रहे हैं तो ध्यान दें

दूध में मिठास के लिए चीनी न डालें,मीठा दूध कफ कारक होता है।चीनी मिलाकर पीने से कैलशियम नष्ट होता है इसमें प्राकृतिक मिठास होती है। अगर मीठे की जरूरत हो, तो शहद, मुनक्का या मिस्री डालें।आयुर्वेद के मुताबिक भी नींद शरीर के कफ दोष से प्रभावित होती है। दूध अपने भारीपन, मिठास और ठंडे मिजाज के कारण कफ प्रवृत्ति को बढ़ाकर नींद लाने में सहायक होता है।

दूध के लाभ

दूध हमारे आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लेकिन कुछ लोग दूध पीने से दूर भागते हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि दूध पीने से वो मोटे हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हैं दूध पीने से मोटापा बढ़ता नहीं है बल्कि शरीर को शक्ति मिलती है। दूध हमारे शरीर के लिए कैल्शियम की आपूर्ति का सबसे अच्छा स्रोत हैं। हमारे शरीर के हड्डियों को मजबूत रखने के लिए और हड्डियों की कमजोरी को रोकने के लिए कैल्शियम की जरूरत पड़ती हैं।यह हमारी दांतों को मजबूत बनाता हैं।

दूध में प्रोटीन रहता हैं, जिससे हमारे शरीर की मांसपेशियों के पुनर्निर्माण में मदद करता हैं। दूध हड्डियों को मजबूत बनाने और ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करता हैं और स्वस्थ रक्तचाप को बनाए रखने में मदद करता हैं। दूध का सेवन दिल के रोग की संभावना को रोकता ही नहीं, कमर दर्द तथा डिप्रेशन में भी राहत देता है।

दमकती त्वचा
दूध में कई पोषक तत्व होते हैं, जो चमचमाती त्वचा के लिए जरूरी हैं। इसमें लैक्टिस एसिड होता है, जो त्वचा को मुलायम रखता है। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो पर्यावरण के विषैले प्रभावों से त्वचा को बचाते हैं।दरअसल दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, वसा व चिकनाई की मात्र काफी होती है, जिससे त्वचा में कसाव आता है। झुर्रियां कम होती हैं। कच्चे दूध से अच्छी कोई दूसरी क्लींजिंग क्रीम नहीं है।

खतरे कम होते हैं
दूध में मौजूद कैल्शियम, पोटेशियम और प्रोटीन ब्लड प्रेशर को संतुलित रखते हैं। इससे स्ट्रोक की आशंका कम हो जाती है। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि दूध कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों का खतरा कम करता है। दूध में मौजूद विटामिन ए और बी आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

मोटापा घटाने में मदद करता है
दूध की वजह से काफी देर तक भूख नहीं लगने का एहसास बना रहता है। ऐसे में व्यक्ति हल्का खाना खाता है और उसका वजन नियंत्रण में रहता है। दूध में प्रोटीन अधिक होता है, जो काबरेहाइड्रेट के स्तर को घटाता है, जिसके चलते वजन कम होता है। आपको कम से कम एक ग्लास दूध सुबह नाश्ते के समय और रात को सोने के समय पीना चाहिए।

डिप्रेशन भगाता है दूध
भागदौड़ भरे जीवन में तनाव लाइफस्टाइल का एक अंग बन गया है, जिसकी वजह से मांसपेशियों में खिंचाव, नसों का अस्त व्यस्त होना, डिप्रेशन आदि आम बात है।ऐसे में दूध पीएमएस के लक्षणों को कम करता है और ऊर्जा बढ़ाता है। हमारे शरीर में कई ऐसे हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शरीर और दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करते हैं। दूध इन हार्मोन्स को बनाने में मदद करता है।

कैंसर से भी करता है बचाव
दूध कई प्रकार के कैंसर का खतरा भी कम करता है। विटामिन बी 12 की प्रचुरता के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को भी दुरुस्त रखता है।

250 मिली लीटर दूध में लैक्टोज की मात्र 10-15 ग्राम होती है, जबकि 200 ग्राम दही में 9 ग्राम और पनीर की इतनी ही मात्रा में 0.1ग्राम। दही में लैक्टोज दूध के मुकाबले ज्यादा कम तो नहीं होता, लेकिन लैक्टोज इन्टॉलरेंट लोग भी इसे आसानी से पचा लेते हैं। इसका प्रमुख कारण है कि दही में लैक्टेस होता है।

घर में जमाए दही में तो लैक्टेस की मात्रा और भी कम होती है। अत: इसका सेवन बेहतर रहता है। दही में दूध से ज्यादा प्रोटीन और कैल्शियम होता है। इसमें विटामिन सी और आयरन के अलावा कई और पोषक तत्व होते हैं। छाछ प्रोबायोटिक आहार होता है। इनमें सूक्ष्म जीव होते हैं, जो हमारी आंतों को सक्रिय रखते हैं। ऐसे लोग जिनका पाचन तंत्र मजबूत न हो,उन्हें दूध की जगह छाछ का उपयोग करना चाहिए।

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