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माँ के गर्भ में बच्चे की बुद्धिमत्ता बढ़ाने के तरीके

माँ के गर्भ में बच्चे

एक बच्चे के मस्तिष्क की नींव उसके गर्भ में रहते हुए ही पड़ जाती है। यह वह समय होता है, जब उसकी बुद्धिमता और व्यक्तित्व को एक शुरूआती स्वरुप मिल रहा होता है। इस समय के विकास का उसकी सीखने की क्षमताऔर व्यक्तित्व पर काफी गहरा असर पड़ता है।

ऐसे कई कारक हैं, जो एक अजन्मे बच्चे के मानसक विकास और बुद्धिमता में वृद्धि करने में सहायक होते हैं। गर्भावस्था में देखभाल, एक माँ स्वास्थ्यकर और पोषक भोजन करके, तनाव एवं चिंता मेंकमी लाकर तथा अजन्मे बच्चे के साथ एक गहरा सम्बन्ध स्थापित करके उसकी बुद्धिमता में वृद्धि कर सकती है।

एक माँ का कर्तव्य अपने बच्चे को जीवन में अच्छी शुरुआत देना है। सिर्फ अपने बच्चे को बड़ा होने के बाद बुद्धिमान बनाना ही आपका कर्तव्य नहीं है बल्कि उसे गर्भावस्था से ही आने वाले जीवन के लिए तैयार करना भी आपका कर्तव्य है। संतुलित एवं अच्छा आहार गर्भ में पल रहे बच्चे के मार्गदर्शन की पहली सीढ़ी है।

इससे आप अपने बच्चे के मस्तिष्क से भी संबंध बिठाने में सफल हो पाएंगे। गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क के विकास (intelligent bacha kaise paida kare) की ओर ध्यान देना दुनिया में बुद्धिमान बच्चे को लाने की तरफ पहला कदम है।

*गर्भ में पल रहे बच्चे की बुद्धिमत्ता बढ़ाने के उपाय *

गर्भ मे शिशु का विकास स्वस्थ आहार से (Healthy food)

गर्भावस्था में भोजन, अपने भोजन में काफी मात्रा में ओमेगा 3 शामिल करें। यह एक काफी स्वास्थ्यवर्धक फैटी एसिड है और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए काफी उपयोगी है। उन सारे उत्पादों की सूची बनाकर रखें जिनमें ओमेगा 3 की अच्छी खासी मात्रा है। आप यह फैट तेल युक्त मछली से प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपको यह मछली नहीं मिलती तो कुछ ऐसी सब्ज़ियाँ भी उपलब्ध है जिनमें ओमेगा 3 की मात्रा है।

गर्भ में बच्चा के लिए तनाव हटाना (Stress removal)

तनाव ऐसी चीज़ है जो गर्भ में पल रहे बच्चे को हतोत्साहित करती है। गर्भवती मांओं को इस समय ऐसा कोई भी काम करने से मना किया जाता है जिससे उन्हें किसी प्रकार का तनाव हो। अगर आप तनाव पर विजय प्राप्त कर लेती हैं तो आपका काफी बुद्धिमान होगा और उसमें दुनिया का सामना करने की ताकत भी होगी। गर्भावस्था में तनाव लेने की वजह से बच्चे का मानसिक विकास एवं IQ का स्तर प्रभावित होता है।

गर्भावस्था में बच्चे का विकास के लिए संगीत सुनना (Playing music)

जब आपका बच्चा गर्भ में हो तो आपको संगीत सुनना चाहिए। जब आपका बच्चा 23 हफ्ते का हो उस समय से आपको संगीत सुनने की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। यह बात चौंकाने वाली लग सकती है कि अपनी माँ की कोख में रहने के दौरान ही बच्चा अपनी माँ की आवाज़ सुनने में सक्षम होता है। पर गर्भावस्था में संगीत का चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण चीज़ है। मधुर शास्त्रीय संगीत माँ एवं बच्चे दोनों के लिए सब सुकूनभरा होता है। इससे गर्भ में बच्चे का मन शांत रहता है। इससे बच्चे के मन को एकाग्र होने में भी मदद मिलती है।

बाहर से बच्चे को छूने का अहसास (Touching baby from outside)

अजन्मे बच्चे के लिए माँ का स्पर्श काफी अनमोल होता है। आप अपने पेट पर हाथ फेरकर उसे सुरक्षा एवं आराम का अनुभव करा सकती हैं। यह बच्चे के दिमाग तक पहुंचकर उसे विकसित करने और उसे बुद्धिमान बनाने की दिशा में उठाया जाने वाला काफी महत्वपूर्ण कदम है।

गर्भ में बच्चा के लिए बोलना एवं पढ़ना (Talking and reading)

अगर एक गर्भवती स्त्री कोई अखबार या कहानी की किताब पढ़ रही हो तो यह आवश्यक है कि वह सारी चीज़ें ज़ोर से बोल बोलकर पढ़े जिससे कि बच्चा आपकी आवाज़ सुन सके। यह एक और आश्चर्य की बात है कि एक बच्चा गर्भ में रहने के बावजूद आसानी से आपकी बोली हुई बात एवं भाषा समझ सकता है।

बच्चे से सम्बन्ध स्थापित करना (Connection with the baby)

ये साबित हो चुका है कि गर्भ में पल रहे बच्चे बाहर से आने वाली आवाजों को सुन सकते हैं। वे ठीक से तो सुन नहीं पाते, परन्तु अपनी माँ की आवाज़ को पहचान लेते हैं। अतः एक माँ को अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ गहरासम्बन्ध स्थापित करने के लिए उससे बात करनी चाहिए, गाना चाहिए, कहानियाँ सुनानी चाहिए तथा हल्का संगीत भी बजाना चाहिए। ऐसे करने से गर्भ में पल रहे बच्चे की आगे जाकर पढ़ने, लिखने और भाषा आधारित गुणों मेंकाफी निखार आएगा।

गर्भ में बच्चे की इन्द्रियों को प्रभावित करें (Stimulate baby)

एक बच्चे की विभिन्न इन्द्रियों को प्रभावित करने के कई तरीके हैं। माँ के पेट पर आ रही हलकी रोशनी के प्रभाव से बच्चा प्रभावित हो सकता है। बच्चा गर्भ में लात मारकर रोशनी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करता है। एकबच्चे की छूने, स्वाद लेने और सूंघने की इन्द्रियों को भी पेट को छूकर, विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करके तथा अच्छी चीज़ों की गंध लेकर, जिससे उसके मस्तिष्क की क्रियाशीलता तथा सीखने की क्षमता में वृद्धिहोगी, काफी हद तक प्रभावित किया जा सकता है। पेट को हलके से छूने से बच्चा उत्तेजित होता है और इससे गर्भ में रक्त के संचार में भी काफी वृद्धि पायी जाती है।

गर्भ में बच्चा के लिए आदतें (Habits)

धूम्रपान, शराब या ड्रग्स (drugs) का सेवन बच्चे के मस्तिष्क के विकास (garb mai bacche ka vikas) के लिए काफी हानिकारक सिद्ध हो सकता है। अतः उसके मस्तिष्क के सही प्रकार से विकास के लिए इन सारे नशीले पदार्थों के सेवन से परहेज करना शुरूकर दें।

गर्भ में बच्चे का विकास के लिए व्यायाम (Exercise)

गर्भावस्था के दौरान हल्का व्यायाम करने से बच्चे के सांस लेने की क्षमता में काफी निखार आता है और उसके नर्वस सिस्टम (nervous system) का विकास भी काफी अच्छे से होता है। ऐसा पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरानक्रियाशील रहने वाली महिलाओं के बच्चे काफी चतुर और बुद्धिमान होते हैं। व्यायाम करने से एक माँ की माइटोकोंड्रियल (mitochondrial) क्रियाशीलता में भी काफी इजाफा होता है। इससे अजन्मे बच्चे के मस्तिष्क को भीपरोक्ष रूप से फायदा पहुंचता है।

गर्भ में भ्रूण का विकास के लिए पोषक भोजन का सेवन करें (Eat nutritious foods)

गर्भावस्था में भोजन, पोषक पदार्थों का सेवन करने से भी एक अजन्मे बच्चे की बुद्धिमता में काफी विकास दर्ज होता है। अतः उस समय से ही पोषक व्यंजनों का सेवन आरम्भ कर लें, जब से आपने गर्भधारण का विचार किया हो। इसका पालनखासकर तब तो शुरू कर ही दें, जब आपको पता चल जाए कि आप माँ बनने वाली हैं। ऐसे समय में पोषक पदार्थ काफी ज़रूरी हैं और क्लोरीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड और प्रोटीन (chlorine, Omega 3 fatty acids and protein) सेयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नितांत ही आवश्यक है। ये पोषक पदार्थ मस्तिष्क और मांसपेशियों के विकास में काफी सहायक सिद्ध होते हैं।

माँ के गर्भ में बच्चे के लिए प्यार और देखभाल (Love and care for the baby)

माता पिता का बच्चे के प्रति प्रेम होना काफी आवश्यक है। एक माँ अगर अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के प्रति प्यार महसूस और ज़ाहिर करती है, तो उनके बच्चे स्वस्थ, खुशमिजाज़ और हाजिरजवाब पैदा होते हैं। अतः अपने अजन्मे बच्चे के साथ एक सम्बन्ध स्थापित करना तथा उससे प्यार से बात करना काफी आवश्यक है। प्यार भरा व्यवहार बनाए रखने पर उसकी यादों और भावनाओं पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। गर्भ में पल रहे अपने बच्चे से बात करें, क्योंकि भाषा की समझ विकसित करने के लिए बच्चे के लिए यह काफी आवश्यक है।

गर्भ में बच्चे का विकास के लिए सही मात्रा में वज़न बढ़ाना (Gaining enough weight)

ज़रुरत से ज्यादा वज़न बढ़ जाने से बच्चा भी गर्भ में बड़ा हो जाता है, जिसकी डिलीवरी (delivery) के वक़्त काफी दिक्कतें पेश आती हैं। यह बच्चे के मस्तिष्क के लिए भी काफी हानिकारक साबित हो सकता है। दूसरी तरफ काफीकम वज़न बढ़ने से बच्चे का सिर और मस्तिष्क छोटा रह जाता है। इसका कम IQ से सम्बन्ध माना जाता है। डॉक्टरों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान आदर्श रूप से 25 से 30 पौंड (pound) वजन बढना चाहिए। एक माँ को सही मात्रा में अपना वज़न बढ़ाना चाहिए, क्योंकि वज़न कम बढ़ने से समय से पहले डिलीवरी या कम वज़न वाले बच्चे के जन्म होने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। स्वस्थ खानपान और वज़न का बढ़ना गर्भ में पल रहे बच्चे की बुद्धिमता को बढाने के लिए काफी ज़रूरी सिद्ध होता है।

मस्तिष्क की शक्ति में बढ़ोत्तरी करना (Maximum brain power)

आपके बच्चे के मस्तिष्क का गर्भ में जितना विकास होगा, उतना ही उसका प्रदर्शन भविष्य में अच्छा होगा। एक बच्चे के मस्तिष्क का भार 35 हफ़्तों के बाद us भार का दो तिहाई ही होता है, जितना आप 39 से 40 हफ़्तों के बादहोने की अपेक्षा करते हैं। पर ऐसे कुछ कारक हैं जिनकी वजह से आपके समय से पहले बच्चे को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे किसी प्रकार की बीमारी होना। इससे मधुमेह तथा तनाव के बढ़ने की भी संभावना बढ़ जातीहै। जब भी आपको यह लगे कि गर्भावस्था का समय काफी लंबा खिंच रहा है, तो अपने स्वस्थ और सुन्दर बच्चे के बारे में एक बार सोच लेने से ही आपको काफी ऊर्जा मिलेगी।

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