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अर्जुन एक औषधीय वृक्ष

arjun tree

अर्जुन एक औषधीय वृक्ष है और इसका प्रयोग विभिन्न बीमारियों मे किया जाता है विशेष रूप से दिल की बीमारियों मे किया जाता है! इसके फल का पेस्ट, घावों पर लगया जाता है छाल का पाउडर दिल की बीमारियों में प्रयोग किया जाता है , शहद के साथ छाल मिला पेस्ट रंग में सुधार करने के लिए प्रयोग किया जाता है । पेड़ की छाल कार्डियो टॉनिक है और प्रभावी ढंग से दिल घबराहट, हार्ट ब्लॉक्ज और दिल को मजबूत करता हैं। चावल धोया पानी के साथ सूखे पाउडर छाल मूत्र में रक्त के इलाज के लिए उपयोगी है।

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हृदय रोग में अर्जुन का उपयोग 

1. दिल घबराहट में, अर्जुन छाल पाउडर 3-6 ग्राम एक गिलास टमाटर के रस के साथ ले!

2. उच्च रक्तचाप, तनाव में, उच्च रक्तचाप के कारण सिर दर्द मे अर्जुन की छाल का काढ़े लिया जाना चाहिए। काढ़े बनने के लिए छाल का पाउडर (5 ग्राम) और पानी में (200 मिलीलीटर) ले एक चौथाई रह जाए तब छान कर प्रयोग करे!

3. हृदय रोगों के सभी प्रकार में, 3-6 ग्राम छाल का प्रयोग करे! सीने में दर्द, दिल वृद्धि धड़क रहा है, चिंता और दिल से संबंधित समस्याओं मे नियमित रूप से अर्जुन की छाल का हलवा ले! यह हलवा किसी भी अन्य हलवे के समान तैयार किया जा सकता है! सबसे पहले, गेहूं का आटा (20 ग्राम), गौघृता में अच्छी तरह भुन ले और फिर 3-6 ग्राम अर्जुन की छाल, चीनी स्वाद अनुसार!

4. विभिन्न हृदय रोगों, घबराहट, एनजाइना, दिल की कमजोरी और अर्जुन क्षीर पाक एक अच्छी द्वा है! अगर किसी को पहली बार हार्ट अटॅक हुआ है तो अर्जुन की छाल (40 मिलीलीटर की मात्रा में) काढ़ा ले दिन में दो बार! इस से दिल मजबूत और स्वस्थ होगा!

अन्य बीमारियों में अर्जुन छाल के औषधीय उपयोग

1. मौखिक, गम समस्या, मुँह अल्सर, संक्रमण:

ताजा अर्जुन की छाल के काढ़ा से कुल्ला करने से

मौखिक गम समस्याओं और मौखिक संक्रमण ठीक होता है!

2. प्रदर रोग (शेवत प्रदर):

  • रात में पानी में छाल का पाउडर (2 बड़े चम्मच) भिगो कर अगली सुबह इससे पी ले या काढ़ा तैयार करे और नियमित रूप से सेवन करें। अस्थि रोग, हड्डी फ्रैक्चर, आमोएबियसिस, पाचन समस्याओं, अर्जुन की छाल के काढ़े का सेवन करें।
  • जीर्ण ज्वर, साइनसाइटिस, खांसी, अर्जुन की छाल का पाउडर, नीम के पत्ते और तुलसी के पाते का काढ़ा तैयार करें! छान कर प्रयोग करे!
  • खूनी पेचिश, रक्तस्त्राव या रक्ता पित्त, जीर्ण ज्वर, मेनॉयरेजिया नियमित रूप से अर्जुन क्षीर पाक ले।

3. मूत्र प्रतिधारण: छाल का 40 मिलीलीटर काढ़े पीने से! मूत्र विकार में राहत मिलती है।

4. खंडित हड्डी: एक कप दूध के साथ अर्जुन छाल पाउडर 3-6 ग्राम ले लो।

6. कान का दर्द: अर्जुन पत्ती का रस निकालें और कान में कुछ बूंदें डाले!

7. चेहरे पर पिंपल्स: प्रभावित क्षेत्रों पर अर्जुन की छाल का पेस्ट लगा ले!

8. काला चेहरे की त्वचा : पेड़ की छाल सूक्ष्मता कुचल और साथ शहद मिला ले और प्रभावित क्षेत्र (चेहरे) पर लगा ले!

9. लेउकोडर्मा (सफेद कुसता): अर्जुन की छाल का पेस्ट, पुनर्नवा मूल, बकूची बीज को मिला कर पेस्ट बना कर प्रभावित क्षेत्र पर लगये!

 

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